छत्तीसगढ/ सूरज धमतरी– जिले के गंगरेल और सोंढूर जलाशय से महानदी और पैरी नदी में पानी छोड़े जाने के बाद अब माडमसिल्ली जलाशय से भी पानी नदी में छोड़ा जा रहा है. ये पानी नदी के जरिये होते हुए गंगरेल बांध में समाहित हो रही है. बता दें कि केचमेंट एरिया में पानी की भारी आवक होने के कारण माडमसिल्ली बांध के सायफन सिस्टम से आटोमेटिक पानी बह रहा है. तीन साल बाद बंफर पानी की आवाक के बाद आटोमैटिक पानी बहता है. इस बाँध का निर्माण 1914 से लेकर 1923 के बीच निर्मित हुई है. यह एषिया का पहला बांध है. जो सायफन स्पिलवेज है
दरअसल धमतरी जिले में लगातार बारिश हो रही है. जिसके चलते नदी नाले उफान पर है. वही जिले के तकरीबन सभी बांध लबालब स्थिति में है. बांधों में लगातार पानी की भारी आवक को देखते हुए महानदी सहित अन्य नदियों में पानी छोड़ा जा रहा है. पहले गंगरेल से पानी छोड़ा गया और इसके बाद वनांचल इलाके के सोंढुर बांध से भी पैरी नदी में पानी छोड़ा जा चुका है. अब माडमसिल्ली बांध से पानी डिस्चार्ज होने लगा है. बांध के आसपास इलाको को मुनादी और सायरन के जरिए सतर्क किया गया है. बांध से पानी छूटने के बाद धमतरी से नरहरपुर को जोड़ने वाली स्टेट मार्ग में आवाजाही प्रभावित हो रही है. लोग मजबूरी में बहते पानी को पार करके अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रहे है. बता दे कि मंगलवार को जल संसाधन विभाग के अफसरों ने माॅडमसिल्ली बांध का निरीक्षण किया.अधिकारियों ने बताया कि यहां 100 प्रतिशत जल का भराव हो गया था. इस वजह से सायफन सिस्टम चलना चालू हो गया है. कुल 5.839 टीएमसी जलभराव क्षमता वाले बांध के साफयन से 32 और 33 सहित 3 नंबर के गेटो के जरिए पूरी क्षमता से पानी की निकासी हो रही है. जबकि बेबी सायफन से भी कम मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है. अधिकारियों ने बताया कि सायफन अलग अलग लेवल में बना हुआ है. जैसे जैसे पानी का स्तर बढ़ते जाता है. वैसे वैसे ही वे चालू हो जाते है. जो बांध को सुरक्षित करता है
आर एस साक्षी. एसडीओ जल संसाधन विभाग धमतरी
वही धमतरी जिले में कुल 4 बांध है. जिसमें से एक माडमसिल्ली बांध भी है. जिसे अब बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव बांध के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस बांध में कई खासियत है. जिले का माडमसिल्ली बांध पूरे एशिया का एकमात्र साइफान सिस्टम बांध है. इसके पानी ऊंचाई से नीचे की ओर गिरता है. जिसके कारण यह खूबसूरत और मनमोहक लगता है. बांध का निर्माण इंग्लैंड की रहने वाली महिला इंजीनियर मैडम सिल्ली ने की थी. जिसके चलते इस बांध का नाम माडम सिल्ली पड़ा. इस बांध की और एक खास बात है. कि इसे बनाने के लिए ईट सीमेंट और लोहे का उपयोग नही किया गया था. सन् 1914 में इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया था. जो सन् 1923 में बनकर तैयार हुआ था. देश का ये एकलौता बांध है. जो सायफन सिस्टम होने के साथ चालू हालत में है. तकरीबन 100 साल की उम्र बीत जाने के बाद भी इस बांध की मजबूती मे कोई फर्क नही आया है. और आज भी इनके सभी गेट चालू हालत में है. बारिश के मौसम मे बांध लबालब होते ही ऑटोमेटिक सायफन गेट से पानी निकलना शुरू हो जाता है. इस बांध मे 34 सायफन सिस्टम है इसके अंदर बेबी सायफन भी है. जिसे देखने देश विदेश से सैलानियो का आना जाना लगा रहता है।
बहरहाल धमतरी के कैचमैट ऐरिया मे लगातार हो रही बारिष से जिले के बांधो मे पानी की बंफर आवाक हो रही है. जिससे बांधो की खूबसूरती पर और चाँद चांद लग गई. जिसे देखने सैलानिया के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
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