सीटू ने मनाया 53 वा स्थापना दिवस, हर तरह के शोषण के विरुद्ध संघर्ष का ऐलान ।

nbcindia24/वीरेन्द्र भारद्वाज/ दल्लीराजहरा । 30 मई सीटू स्थापना दिवस के अवसर पर हिंदुस्तान स्टील एम्पलाई यूनियन (सीटू) दल्ली राजहरा के तत्वाधान में यूनियन का स्थापना दिवस  हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ।

स्थापना दिवस कार्यक्रम के अंतर्गत सर्वप्रथम प्रातः यूनियन कार्यालय में सीटू का ध्वजारोहण किया गया ।जिसमें भारी संख्या में मजदूर साथी उपस्थित रहे। इसके बाद 10:00 बजे शहीद अस्पताल में भर्ती मरीजों को यूनियन की ओर से फल वितरण किया गया फल वितरण के दौरान यूनियन के तमाम पदाधिकारी कार्यकर्ता गण भारी संख्या में मौजूद थे । मौजूदा परिस्थितियों में सीटू की प्रासंगिकता विषय पर एक सेमिनार का आयोजन शाम 6:00 बजे यूनियन कार्यालय में किया गया । इस सेमिनार को संबोधित करते हुए यूनियन के सचिव पुरुषोत्तम सिमैया ने कहा की देश में तत्कालीन मजदूर आंदोलन में आए ठहराव के कारण सीटू के स्थापना की आवश्यकता हुई थी। काफी जद्दोजहद के बाद 30 मई 1970 को कोलकाता के मीनार मैदान में चार दिवसीय सम्मेलन के द्वारा सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन की स्थापना हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में मजदूरों की एकता को कायम करना और ट्रेड यूनियनों की एकता को कायम करते हुए शोषण के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा करना था। पिछले 53 सालों में सीटू ने अपने लक्ष्य और उद्देश्यों पर काम करते हुए मजदूर वर्ग के शोषण के खिलाफ कई बड़े संघर्ष आयोजित किए और बहुत सारी उपलब्धियां भी हासिल की हैं।आज एक ईमानदार और संघर्षशील यूनियन के नाम पर सीटू देश में स्थापित है। जिसके पीछे सीटू के कार्यकर्ताओं, नेताओं की कुर्बानी निहित है। यूनियन के अध्यक्ष कामरेड प्रकाश क्षत्रिय ने कहा कि सीटू का नारा है एकता संघर्ष और एकता है।इसी नारे के लाइन पर चलते हुए सीटू ने पूरे देश के हर सर्वहारा वर्ग के लिए कई संगठन बनाए और उन संगठनों के माध्यम से संघर्ष करते हुए हर वर्ग को शोषण से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया तथा काफी हद तक सफलता प्राप्त की। और आगे भी इस पर संघर्ष जारी है तथा शोषण के समाप्त होते तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि देश के मजदूर आंदोलन में सीटू की अहम भूमिका है ।अब तक हुई कई राष्ट्रीय हड़तालों में सीटू ने ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, और सरकार के कई मजदूर विरोधी नीतियों से सरकार को पीछे धकेलने में कामयाब हुई ।सीटू का काम केवल मजदूरों के वेतन भत्ते बढ़ाने की मांग करना नहीं है बल्कि देश की राष्ट्रीय संपत्तियों को बचाना और देश के सामाजिक ताने-बाने को बचाए रखने की कवायद भी हमारे क्रियाकलापों में शामिल है। यही कारण है कि सीटू अपनी स्थापना से लेकर आज तक प्रासंगिक है और आगे भी रहेगी । यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा सीटू की कार्यशैली अन्य ट्रेड यूनियनों से बेहद ही अलग है सीटू जनवादी प्रक्रिया का पालन करते हुए संगठनों का निर्माण करती है और उनका संचालन भी लोकतांत्रिक पद्धति से ही किया जाता है यही कारण है सीटू में कोई भ्रष्टाचार नहीं है तथा सीटू की छवि एक ईमानदार संगठन के रूप में है। दल्ली राजहरा के स्तर पर भी सीटू ने जहां एक ओर सार्वजनिक उपक्रमों को बचाने की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की वही नियमित व ठेका मजदूरों के शोषण के खिलाफ भी पूरी शिद्दत के साथ संघर्ष किया है। सीटू की रीति नीति एवं कार्यशैली पर उसके हर सदस्य को गर्व है । दल्ली राजहरा में सीटू ने जो ईमानदार संघर्ष की छवि छोड़ी है उसी के बलबूते सीटू का जनाधार बढ़ा है, और हमें पूरा विश्वास है कि हमारे तमाम पदाधिकारी कार्यकर्ता एवं सदस्य सीटू के समाजवादी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनी कुर्बानी देने तक संघर्ष करते रहेंगे। समाज में असमानता और शोषण के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी है और जारी रहेगा। पीढ़ी दर पीढ़ी सीटू की प्रासंगिकता न केवल कायम रहेगी बल्कि बढ़ती ही जाएगी हमें पूरा विश्वास है कि जिस उद्देश्य को लेकर सीटू की स्थापना हुई उस लक्ष्य की पूर्ति तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा । इस सेमिनार में सैकड़ों नियमित एवं ठेका मजदूरों ने भरपूर हिस्सेदारी करते हुए चर्चा में भी भाग लिया और सभी ने संकल्प लिया इस समाज में हर तरह के शोषण के खिलाफ हम अंतिम दम तक लगातार संघर्ष करते रहेंगे ।

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