रंजन दास बीजापुर @ एक छोटे से गांव में जहां समय धीरे-धीरे गुजरता था, एक अनोखी घटना घटी। उस गांव में पहली बार मोबाइल की घंटी बजी। लोग आश्चर्यचकित है। इस घटना ने गांव के लोगों को देश दुनिया से जोड़ दिया और उनकी जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू हुआ।छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित बीजापुर के अंतिम छोर पर पामेड़ थाना के धर्मावरम में पहली बार मोबाइल की घंटी बजी है। सुरक्षा के साए यहां जियो का मोबाइल टावर चालू हो गया, इसके साथ गांव में मोबाइल की घंटियां घनघनाने लगी है।
किसी सपने जैसा था मोबाइल ,इंटरनेट कनेक्टिविटी
नक्सल दंश का सामना कर रहे इस गांव में मोबाइल, इंटरनेट कनेक्टिविटी किसी सपने जैसा था, जो आज सच हुआ। आनलाइन एजुकेशन के दौर में अब नक्सलगढ़ के इस गांव के बच्चे दूरवर्ती शिक्षा से लेकर प्रतियोगी परीक्षा की आनलाइन तैयारी कर पाएंगे।मरीजों को आपात सेवा, गांव की बुनियादी समस्याओं की जानकारी दे सकेंगे, सरकारी योजनाओं , मौसम इत्यादि की जानकारी भी कनेक्टिविटी के जरिए मिल पाएगी और यह सब संभव हो पाया है पुलिस_प्रशासन के समन्वित प्रयासों से, जिससे सुदूर_पिछड़े इलाके में मोबाइल_इंटरनेट कनेक्टिविटी संभव हो पाई है।
रिश्तेदारों से फोन पर बात
नेटवर्क बहाल होते गांव वालो की खुशी का ठिकाना ना था।रिश्ते दारो, परिजनों से बात मुमकिन हुई। फोन पर गांव वालो ने सुख दुख की बातें की और हालचाल पूछा।
चिंतावागु पर पुल
इंटरनेट कनेक्टिविटी के अलावा नवीन कैम्प की स्थापना के साथ पामेड़ एवं धरमाराम के मध्य चिन्तावागु नदी पर पुल निर्माण का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है । जिसका सीधा लाभ दर्जनों गांव के ग्रामीणों को मिलने लगेगा।
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